Sunday, 27 November 2011

FWD: Found interesting opportunity!!

Hello Friend!
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c ya

Sunday, 13 February 2011

तुम न आये थे तो...

तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो है

आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय

और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक

रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"

चम्पई रंग कभी, राहत-ए-दीदार का रंग

सुरमई रंग के है सा'अत-ए-बेज़ार का रंग

ज़र्द पत्तों का, ख़स-ओ-ख़ार का रंग

सुर्ख़ फूलों का, दहकते हुए गुलज़ार का रंग

ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग

 

आसमां, राह-गुज़र, शीशा-ए-मय

कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग

कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है

अब जो आये हो तो ठहरो के कोई रंग, कोई रुत, कोई शय

एक जगह पर ठहरे

 

फिर से एक बार हर एक चीज़ वही हो जो है

आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय

Wednesday, 26 January 2011

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे


बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे

बोल ज़बाँ अब तक तेरी है

तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा

बोल कि जाँ अब तक् तेरी है

देख के आहंगर की दुकाँ में

तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन

खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने

फैला हर एक ज़न्जीर का दामन

बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है

जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले

बोल कि सच ज़िंदा है अब तक

बोल जो कुछ कहने है कह ले

Monday, 24 January 2011

आज के नाम

आज के नाम
और
आज के ग़म के नाम
आज का ग़म कि है ज़िन्दगी के भरे गुलसिताँ से ख़फ़ा
ज़र्द पत्तों का बन
ज़र्द पत्तों का बन जो मेरा देस है
दर्द का अंजुमन जो मेरा देस है
किलर्कों की अफ़सुर्दा जानों के नाम
किर्मख़ुर्दा दिलों और ज़बानों के नाम
पोस्ट-मैंनों के नाम
टांगेवालों के नाम
रेलबानों के नाम
कारख़ानों के भोले जियालों के नाम
बादशाह्-ए-जहाँ, वालि-ए-मासिवा, नएबुल्लाह-ए-फ़िल-अर्ज़, दहकाँ के नाम


जिस के ढोरों को ज़ालिम हँका ले गए
जिस की बेटी को डाकू उठा ले गए
हाथ भर ख़ेत से एक अंगुश्त पटवार ने काट ली है
दूसरी मालिये के बहाने से सरकार ने काट ली है
जिस के पग ज़ोर वालों के पाँवों तले
धज्जियाँ हो गई हैं

उन दुख़ी माँओं के नाम
रात में जिन के बच्चे बिलख़ते हैं और
नींद की मार खाए हुए बाज़ूओं से सँभलते नहीं
दुख बताते नहीं
मिन्नतों ज़ारियों से बहलते नहीं

उन हसीनाओं के नाम
जिनकी आँखों के गुल
चिलमनों और दरिचों की बेलों पे बेकार खिल-खिल के
मुर्झा गये हैं
उन ब्याहताओं के नाम
जिनके बदन
बेमोहब्बत रियाकार सेजों पे सज-सज के उकता गए हैं
बेवाओं के नाम
कतड़ियों और गलियों, मुहल्लों के नाम
जिनकी नापाक ख़ाशाक से चाँद रातों
को आ-आ के करता है अक्सर वज़ू
जिनकी सायों में करती है आहो-बुका
आँचलों की हिना
चूड़ियों की खनक
काकुलों की महक

आरज़ूमंद सीनों की अपने पसीने में जलने की बू

पढ़नेवालों के नाम
वो जो असहाब-ए-तब्लो-अलम
के दरों पर किताब और क़लम
का तकाज़ा लिये, हाथ फैलाये
पहुँचे, मगर लौट कर घर न आये
वो मासूम जो भोलेपन में
वहाँ अपने नंहे चिराग़ों में लौ की लगन
ले के पहुँचे जहाँ
बँट रहे थे घटाटोप, बे-अंत रातों के साये

उन असीरों के नाम
जिन के सीनों में फ़र्दा के शबताब गौहर
जेलख़ानों की शोरीदा रातों की सर-सर में
जल-जल के अंजुम-नुमाँ हो गये हैं


आनेवाले दिनों के सफ़ीरों के नाम
वो जो ख़ुश्बू-ए-गुल की तरह
अपने पैग़ाम पर ख़ुद फ़िदा हो गये हैं