Sunday 13 February, 2011

तुम न आये थे तो...

तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो है

आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय

और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक

रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"

चम्पई रंग कभी, राहत-ए-दीदार का रंग

सुरमई रंग के है सा'अत-ए-बेज़ार का रंग

ज़र्द पत्तों का, ख़स-ओ-ख़ार का रंग

सुर्ख़ फूलों का, दहकते हुए गुलज़ार का रंग

ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग

 

आसमां, राह-गुज़र, शीशा-ए-मय

कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग

कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है

अब जो आये हो तो ठहरो के कोई रंग, कोई रुत, कोई शय

एक जगह पर ठहरे

 

फिर से एक बार हर एक चीज़ वही हो जो है

आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय

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